समाज का आईना। समाज का आईना।
कैसे कपड़े पहन रखे हैं। पति तो छोड़कर चला गया और उस पर से यह श्रृंगार। कैसे कपड़े पहन रखे हैं। पति तो छोड़कर चला गया और उस पर से यह श्रृंगार।
समझ में नहीं आता कि समाज के इन तथाकथित ठेकेदारों को यह हक किसने दिया है समझ में नहीं आता कि समाज के इन तथाकथित ठेकेदारों को यह हक किसने दिया है
समाज के डर से बहुत सी औरतें धोखे भरी रिश्ते को निभातीं है। समाज के डर से बहुत सी औरतें धोखे भरी रिश्ते को निभातीं है।
कसूर था क्योंकि मेरा बलात्कार हुआ था ! कसूर था क्योंकि मेरा बलात्कार हुआ था !
जिस घर को मुझे सजाना, संवारना है जीवन भर ....उसमें मेरे नाम की नेमप्लेट तक नहीं! जिस घर को मुझे सजाना, संवारना है जीवन भर ....उसमें मेरे नाम की नेमप्लेट तक नहीं!